बुढ़ापा इंसान को एक बार फिर बच्चा बना देता हैं, ऐसे में आप उनके साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं, ये बहुत मायने रखता हैं। आईये समझे How to deal with old people (बूढ़े लोगो के साथ कैसा व्यवहार करे)।
आज लोग कितना भी पढ़ -लिख ले, आपको ऐसे बहुत से लोग आपके आस -पास मिल जाएंगे, जिनको पता नहीं हैं की कब -कैसे और क्या बात करनी चाहिए। जिंदगी के पड़ाव में बुढ़ापा भी अपना एक महत्व स्थान रखता हैं और जिसमे हर व्यक्ति अलग -अलग पलों का अनुभव करता हैं।
देखा जाए तो हर व्यक्ति उम्र के हिसाब से और बेहतर होता जाता हैं, और बुढ़ापे में अनुभव जितना ज्यादा जो चुका होता हैं, शरीर उतना ही कमजोर हो जाता हैं और जब शारीरिक छमता कम होने लगती हैं तो आप समझ सकते हैं की क्या problem face करनी पड़ती हैं।
ऐसे में हर किसी के घर में उनके बच्चो की जिम्मेदारी हैं की वह अपने से बड़ो को और खास तौर से अपने घर के बुजुर्गो की अच्छी देखभाल करे, उन्हें समझे और उनका आदर करे।
आज आप जो कुछ भी हैं, अपने माता -पिता के कारण हैं, और ऐसे में आप का पूरा फर्ज बनता हैं की जैसे आपने बचपन में अपने मम्मी – पापा से प्यार और दुलार पाया हैं, वैसे ही आप अपने बूढ़े माँ -बाप को करे।
आज आप अपने मम्मी – पापा को वह सब दे, जिंसके लिए आपके parents ने ना जाने कितने संघर्ष किये।
आज ना जाने इस टॉपिक के बारे में क्यों लिखने का मन किया, पर जब लिखना शुरू किया तो लगा की सच में ये तो बहुत ही important हैं।
आज लोग बड़ो का आदर करना भूल गए हैं, और यदि ऐसा ना होता तो आज कही भी एक भी वृद्धाआश्रम ना होता। सच में ये कैसी विडंबना हैं की जिस बच्चे को आप अपने खून और पसीने से पालते हो, वक़्त आने पे वही आपकी क़द्र नहीं करता हैं।
आज आप अपने बच्चो को पढ़ाई चाहे जितनी करवाए पर उन्हें अपने से बड़ो का आदर करना सिखाये, क्योंकि आप भी इस उम्र से गुजरेंगे और जब वह सब चीजे आपके साथ होंगी तब तक बहुत देर हो जायेगी।
बड़ो से सदैव आवाज नीची करके बात करे
हमेशा अपने बोलने का sound उतना रखे जितना की आसानी से समझा जा सके। बहुत से लोग ख़ुशी में और गुस्से दोनों की स्थितियों में बहुत तेज – तेज से बात करते हैं, नार्मल बात करने पर भी लगता हैं , जैसे लड़ रहे हो, और जब वास्तव में ऐसे लोग लड़ेंगे तो फिर आप समझ सकते हैं की क्या माहौल होगा।
कहने का मतलब हैं, बड़े लोग आदरणीय हैं, क्योंकि वो आपसे उम्र, और अनुभव में बहुत आगे हैं । कई बार ऐसा भी हो सकता हैं की बड़े गलत हो, पर ऐसे में भी आपको अपनी सूझ -बूझ से स्थित को संभालना हैं, ना की खुद hyper हो जाए।
सौ बातों की एक बात हैं की आप बड़ो से ना ही फालतू उलझे और जब वह कुछ आपको कहे तो आप कुछ ना बोले।
कई बार ऐसा होगा की आपको लगेगा की अब बोलना ही पड़ेगा, ऐसे में तुरंत उस जगह से निकल जाईये, और जब गुस्सा शांत हो जाए तब वापस आ जाइये।
भाषा का चुनाव सोच -समझकर करे
जब भी आपके आस -पास कोई भी बड़ा बैठा हो, या बात कर रहा हो, तो सबसे पहले तो उसकी बात को काटे ना और ना ही कोई ऐसी भाषा प्रयोग करे, जिसको सुनकर एक गलत माहौल पैदा हो।
कुछ लोग ज्यादा बोलने की आदत के शिकार होते हैं, और ऐसे में वह ये नहीं समझ पाते हैं की कब, क्या और कहा पर क्या बोलना हैं और क्या नहीं बोलना हैं।
बड़ो को सुनिए, ना की उनको सुनाईये, आप जितना उनको सुनेगे, उनके साथ वक़्त बिताएंगे, उतना ही अच्छा महसूस करेंगे और लाइफ में सफल होंगे।
हम सारे लोग जो कुछ भी सीखते हैं, वह अपने से बड़ो से सीखते हैं, या फिर किताबों से सीखते हैं, इसलिए इन दोनों को अपनी जिंदगी से कभी दूर ना जाने दे।
हर व्यक्ति के साथ आपका व्यवहार उस व्यक्ति के व्यक्तित्व के हिसाब से होना चाहिए। वैसे तो देखा जाए सही भाषा का प्रयोग बड़ो के सामने ही नहीं बल्कि सब जगह करना चाहिए, ये एक अच्छी आदत हैं और इसे सबको अपनाना चाहिए।
आप किसी से काम या कुछ भी कराना चाहते हैं तो उस व्यक्ति से सही से बात करे। आप खुद सोचिये की अगर आपसे कोई अच्छे से आदर से बात ना करे तो क्या आप उस व्यक्ति के लिए कुछ भी करना चाहेंगे, जवाब साफ़ हैं, बिलकुल नहीं, ऐसे में आप जैसा व्यवहार खुद के लिए चाहते हैं वैसा ही व्यवहार दूसरों के लिए करे।
उन्हें अकेलापन ना फील होने दे
अक्सर बड़े लोग एक उम्र के बाद जब अपनी नौकरी या जॉब से रिटायर हो जाते हैं, तो उसके बाद वह बहुत अकेलापन feel करने लगते हैं, इसके पीछे कारण आप सब को पता हैं, की आज कल की भागम -भाग जिंदगी में किसी के पास किसी के लिए टाइम नहीं हैं, फिर घर के बूढ़े लोगो के लिए तो बिलकुल नहीं हैं।
ऐसे में ये हम सब की ड्यूटी हैं की हम सब बड़े लोगो को ज्यादा टाइम तक अकेला ना छोड़े, बीच -बीच में उन्हें समय दे, बाहर घुमाने ले जाए, जब भी समय मिले तो उनके साथ वक़्त बिताये।
देखिये कोई आपसे कभी नहीं कहेगा की वह अकेलापन फील कर रहा है, ये बात आपको खुद से समझनी होगी, अहसास करनी होगी तभी आप इस समस्या का निदान कर पाएंगे।
आज communication gap कह लीजिये या बच्चों का डर कह लीजिये माँ -बाप भी खुलकर अपनी बात अपने बच्चों से नहीं कह पाते हैं, वह नहीं कह पाते हैं की वह क्या चाहते हैं, क्या सोचते हैं, ऐसे में आप और हम – सब मिलकर अपने घर और अपने आस -पास के बुजुर्गों को ख़ुशी दे सकते हैं।
एक उम्र के बाद रुपया, पैसा, टहलना -घूमना, कपडे, बड़ी कार, बड़ा घर, जेवर की चाहत ख़तम हो जाती हैं , बस हर बुजुर्ग के दिल में चाहत होती हैं तो अपने बच्चों का प्यार और सम्मान, बस यही दो चीजे वो अपने बच्चों से और सभी से चाहते हैं।
अकेलापन किसी को भी उसकी उम्र से पहले ख़तम कर सकता हैं। आज अकेलापन फील करना एक आम समस्या हैं, कहने को तो हर कोई हैं, फिर भी अकेलापन फील होता हैं।
बड़ो के रहने और खाने पीने की अच्छी व्यवस्था करे
क्या आप खुद खाने से पहले ध्यान करते हैं की आपके घर के बुजुर्गों ने खाना खाया या नहीं खाया। यदि आप नहीं पूछते हैं, तो देखिये वह अच्छे से खा रहे हैं या नहीं, क्योंकि इस उम्र में उन्हें सबसे ज्यादा अच्छा खाने और पीने की जरुरत हैं। इस उम्र में उनका खाना संतुलित हो, फ्रेश हो, बिना तेल के बना हो।
जैसे उन्होंने आपको बचपन में हर आराम दी हैं, अब आपकी बारी हैं, और अगर नहीं भी दी हैं, और आप आज सक्षम हैं, तो आप बेस्ट से बेस्ट सुविधा उन्हें दे।
एक अच्छा माहौल, उनकी जिंदगी के बच्चे हुए सालों को यादगार बना देगा और शायद उनकी जिंदगी में कुछ और साल add हो जाए, जो की बहुत बड़ी बात होगी। रिश्तों की क़द्र करिये, समय रहते, क्योंकि गया हुआ वक़्त कभी वापस नहीं आता हैं।
बड़ो के लिए रहने के लिए अच्छा बैडरूम बनाये
बड़ो का कमरा साफ़ -सुथरा हो, जिसमे एक अच्छा बिस्तर हो, जिसपर लेट कर वह अपनी बची हुयी रातों को जी सके। अक्सर लोग पैसे की कमी के कारण अच्छी व्यवस्था नहीं कर पाते और बहुत से लोग सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं करते हैं क्योंकि उनका ध्यान कभी इस तरफ नहीं जाता हैं।
एक बच्चे को जितने सुख और सुविधा की जरुरत होती हैं, उतनी ही जरुरत उस घर के बुजुर्ग की होती हैं, इसलिए दोनों में फर्क ना करे और सोने और रहने के लिए अच्छी सुविधा दे।
घर के लोगो के प्रति भेद-भाव ना करे, किसी को ज्यादा आराम और किसी को कुछ नहीं, सबको समान सुख -सुविधा, प्यार और सम्मान दे, जब आप अच्छा करेंगे तो आपके साथ और अच्छा होगा, ऐसा सदैव विश्वास करे।
बड़ो के द्वारा कही गयी बात का बुरा ना माने
अक्सर बड़े लोग गुस्से में बहुत कुछ कह देते हैं, और कई बार इतना बुरा लगता हैं, की जैसे सब कुछ छोड़ कर अभी कही दूर चले जाओ। पर क्या ये सही सलूशन हैं, शायद नहीं, इसलिए जब भी ख़राब माहौल हो, और आप उसे हैंडल करने की हालत में ना हो, तो ऐसे में कुछ ना बोले और कोशिश करे, की जल्द से जल्द वहा से निकल जाए, जिससे आप कुछ बोलने से बच जाएंगे।
अक्सर ऐसे ख़राब माहौल में लोग वहा से हटते नहीं हैं, और ऐसे में बात और बढ़ती जाती हैं। ये बात अपने दिमाग में बिठा लीजिये की आपके बड़े आपके ऊपर चिल्ला सकते हैं, पर आप नहीं, तो ऐसे में आप वहा से हट जाए तो ही ठीक होगा।
ये बात बिलकुल सत्य हैं की कई बार बिना गलती के भी गालियां सुनने को मिल जाती हैं, ऐसे में धर्य बनाये रखे और अपने मुँह पे ताला लगा ले। बड़े लोगो की किसी भी बात को दिल पे ना ले, बात को इग्नोर करना सीखे।
बड़ो से कभी भी बहस ना करे
आज सबके विचार अलग -अलग हैं, तो ऐसे में किसी से भी बहस करना ठीक नहीं होता हैं, और फिर बड़ो से तो बिलकुल भी नहीं। रिश्तों की मर्यादा को समझे, समाज में हैं तो सामाजिक बने, ऐसा कोई काम ना करे जिससे आपकी छवि ख़राब हो।
सबकी अपनी लाइफ हैं, अपने विचार हैं, इसलिए कभी भी किसी बात को लेकर ऐसी चर्चा ना करे, जो की बड़ी बहस का कारण बन जाए। अक्सर लोग छोटी -छोटी बात को एक बड़ा रूप दे देते हैं, इसलिए कहा जाता हैं की पहले बात को अच्छे से सुनो और फिर उसका जवाब दे।
आज लोग सुनते कम और बोलते ज्यादा हैं, और ये आदत आपको हर तीसरे इंसान में देखने को मिल जायेगी।
Be happy in every situation. Life is precious, love it.