आजकल भागम भाग जिंदगी में हर इंसान परेशान हैं । हर इंसान के अनुभव अलग – अलग होते हैं इसलिए किसी को जीवन बहुत लम्बा लगता हैं और किसी को बहुत छोटा । मानसिक रूप से खुश ना रहने के कारण आपके जीवन के अनुभव ही हैं , जिसका अनुभव अच्छा होता हैं वह जीवन को सुखद बताता हैं और जिसका ख़राब होता है वह जीवन को कष्टमय बताता हैं ।
हर इंसान को कोई ना कोई दुःख सता रहा हैं, पूरी तरह से कोई भी खुश नहीं हैं । मानसिक रूप से आज हर उम्र और वर्ग का इंसान प्रभावित हैं , चाहे वह शिक्षार्थी हो, युवा हो, बड़े बूढ़े लोग हो और या माध्यम या उच्च वर्ग के लोग हों ।
ये बिलकुल सच हैं लोग कह देते हैं सब बढ़िया पर इस सब बढ़िया के पीछे कितने दर्द छुपे हैं इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हैं । लोग मानसिक रूप से अकेले हैं , इसका भी मूल कारण यही हैं जरुरत से ज्यादा जिम्मेदारियां । पहले के लोग कहते हैं हमने भी घर बनाया , हमने भी तो कई बच्चे पाले आजकल तो १ या २ या हमने भी सब मैनेज किया , लेकिन शायद वह ये भूल चुके हैं पहले का समय अलग था अब का समय बिलकुल अलग हैं ।
पहले के समय सिर्फ खर्चे बहुत सीमित थे लोग एक दूसरे की चीजे , घर, बच्चो की किताबें , बच्चो के कपडे, खान -पान भी घर का और व्यापार सब कुछ शेयर करते हैं , सब लोग मिलकर कमाते थे और जीवन को सुचारु रूप से चलाते थे , पर वर्तमान स्तिथि बिलकुल बदल गयी हैं अब तो सबकी जरूरतें भी पहले से थोड़ी ज्यादा हो चुकी हैं या जो जहा रहता हैं उसको वहा के हिसाब से अपनी चीजों में परिवर्तन करना पड़ता हैं ।
शहरों के अपेक्षा गावों में लोग ज्यादा खुश हैं क्योंकि उनका घर अपना हैं , लाइट को कोई ज्यादा खर्चा नहीं, पहनाव उढ़ाव भी बहुत ही सामान्य होता हैं ।
जो लोग बड़े शहरों में असल में वह ज्यादा मानसिक विकार को झेल रहे हैं, शहर में रहने वाले ज्यादा तर लोगो ने अपना घर लेने के लिए बैंक से लोन ले रखा हैं , ना जाने कितने और लोन हैं , लोगो की जरुरत के हिसाब से , इन सब बातों को लेकर भी शहर के लोग मानसिक रूप से परेशान रहते हैं , पर देखा जाए तो ऐसे लोगो की भी कोई गलती नहीं हैं, अगर वह जीवन में ये रिस्क नहीं लेंगे तो शायद वो किराये के घर में ही अपना दम तोड़ देंगे ।
ज्यादातर कहीं ना कहीं लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने में ही लगे रहते हैं, कहने का अर्थ हैं की आपका जो दिमाग हैं वह २४ घंटे यही सोचता रहता हैं की कैसे लोन की भरपाई होगी, बच्चे की पढ़ाई, और अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आयी तो कैसे मैनेज होगा , यही सब मूल कारण हैं की बहुत ज्यादा लोग मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं ।
अपनी बात को किसी को ना कह पाना बस अंदर ही अंदर घुट जाना भी मानसिक रोग का कारण बन सकता हैं । लोग कहते हैं जब कोई दुःख या परेशानी तो बताना लेकिन जब बताते हैं तो लोग आप पर हस्ते हैं आपको ताने देते हैं, पहले तो कोई मदद करेंगे नहीं , अगर कर भी तो दी की आपको इतना सुना देंगे की बाद में आप यही सोचेंगे की, क्यों मैंने इस इन्सान को अपनी समस्या बताई । यह दुनिया ऐसी ही हैं जिसका बन जाता हैं यहाँ लोग उसी के साथ खड़े होते हैं, लोग उसी का सपोर्ट करते हैं ।
अगर आप जीवन में कम सफल हैं तो आपका कोई भी दोस्त नहीं होगा, को भी रिश्तेदार नहीं होगा , यही जीवन का कडुवा सच हैं , जिसे को स्वीकार नहीं करता हैं । लोग झूठी दुनिया में झूठी जिन्दगीं को जी रहे हैं पर अंदर से क्या सही है और क्या गलत, इसका अहसास आज सबको हो चुका हैं । मानसिक रूप से खुश ना रहने के कारण एक ये भी हैं की लोगों ने आज एक दूसरे की प्रशंसा करना ही बंद कर दिया हैं , बल्कि मौका मिलते हैं वह आपके बारे में बुरा बोलने में बिलकुल नहीं चूकेंगे ।
मानसिक रूप से खुश ना रहने के कारण
प्यार की कमी
आज देखा जाए ज्यादातर रिलेशन फेक रिलेशन हैं। जब जिसको काम पड़ता हैं तो वह अपने तरीके से आपसे बात कर लेगा। शायद ये भी एक मूल कारण हैं की आज हर दूसरा व्यक्ति मानसिक रूप से अकेला हैं ।
विश्वास की कमी
किसी को किसी पर विश्वास नहीं हैं, जिसकी वजह से ना लोग अपनी समस्या को खुल कर कहते हैं और ना ही अपनी खुशियों को एक साथ मिल जुलकर सेलिब्रेट करते हैं । विश्वास किसी भी रिश्ते की नीव हैं, आज सभी की नीव कमजोर है । ऊपर से सब कहते हैं की विश्वास हैं, पर जरा सी हवा तेज चलने पर सब तीतर बितर हो जाता हैं । अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए सच्चे बने , सच बोले, हमेशा सच का साथ दे।
एक अच्छे दोस्त की कमी
एक अच्छे दोस्त की कमी दुनिया में हर व्यक्ति के साथ एक व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिससे आप अपने दिल की बात को बिना किसी डर के बिना किसी हिचकिचाहट के कह सके , पर शायद ही ऐसा कोई हो जिसे एक अच्छा और सच्चा दोस्त मिला हो।
पैसे की कमी
सबका सपना मनी मनी, आज जिधर देखो, जिसको देखो बस पैसे की ही बात कर रहा हैं । सब पैसा कमाने की होड़ में हैं, पर रिश्तों पर और अपनों पर कोई ध्यान नहीं हैं । ऐसे में जाहिर सी बात हैं की ना चाहते हुए भी लोग अकेले हैं, उदास और परेशान हैं ।
जिम्मेदारियों का दबाव
जिम्मेदारियों का दबाव हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों के बोझ के तले पूरी तरह से दब चुका हैं, चाह कर भी आप अपने मन से अपने लिए कुछ नहीं कर सकते हैं।
एक दूसरे से आगे निकलने की होड़
एक दूसरे को पछाड़ने की ना सोचे बल्कि एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करें ।आज लोगो के पास जितना ज्यादा हैं, पर उनमे संतोष उतना ही कम हैं । जितना हैं उसमे खुश नहीं और चाहिए, और चाहिए, बस यही लगा हैं , ऐसे में कैसे आप खुश हो सकते हैं, जब आपकी कोई लिमिट ही नहीं हैं। इसलिए संतोष करना सीखे , जो मिला बहुत मिला है, ये भी ना होता तो क्या करते। जिनके पास आपसे कम हैं उनको देखो, पर नहीं आज तो हर व्यक्ति अपने से ज्यादा पैसे वाले व्यक्ति से दोस्ती या व्यव्हार रखना चाहता हैं, क्योंकि ऐसे लोग सोचते हैं की ख़राब समय आने ये हमारी मदद करेंगा जो की बिलकुल गलत हैं । गरीब आदमी आपके लिए खड़ा हो जाएगा पर पैसे वाला कभी नहीं, ये बात सत्य और कड़वी हैं ।