Shayari on real life
जिंदगी दौलत से चलती हैं, पर स्वस्थ शरीर से खुश रहती हैं,
जिंदगी तो जिंदगी हैं कभी बनती तो कभी बिगड़ती हैं,
जीवन में सुख और दुःख सब कर्मो और मुकद्दर का खेल हैं,
मानो तो जिंदगी अनमोल हैं और ना मानो तो खेल हैं,
हर कोई अपनी उम्र में परेशान और उलझा हैं,
सच बात तो ये हैं मौत के बाद ही हर कोई सुलझा हैं,
ये प्यार, लगाव और अपनापन दिल और आँखों को आंसुओं से भर देता हैं,
किसी अपने से दूर जाने के नाम पर दिल ही दिल में रोता हैं,
सच में कितना और अपने दिल को मजबूत करना होगा,
ठोकरे तो लगेंगी हर रोज थोड़ा संभल -संभल कर चलना होगा।
जीवन में अगर खुश रहना हैं तो किसी से कोई उम्मीद ना कर,
लोग चले ना चले तेरे साथ एक कदम पर तू आगे बढ़ता रह,
अपने ख्वाबों को सच करने के लिए दिन और रात एक कर,
किससे क्या मिला यहाँ पर इस बात का जिक्र ना कर,
क्योंकि इस जिंदगी के लेन – देन में कही वक़्त ना निकल जाए,
अपनों में रहते हुए भी तू बहुत अकेला ना रह जाए,
जिंदगी एक आशा हैं, इसे निराशा में ना बदल,
दिल में जो बात हैं उसे अब खुल के कहना सीख,
कोई क्या कहेगा क्या सोचेगा, ये सोचना तेरा काम नहीं,
तू चाहे जितना भी कर ले पर तेरा यहाँ कोई नाम नहीं,
इसलिए बेकार की उलझनों को पास ना आने दो,
अपने होंठों को यूं ना सिलो इन्हे खुलकर मुस्कराने दो,
क्योंकि मुस्कराने से जिंदगी के राग बदल जाते हैं,
जिसमे खुश रहने का हैं जज्बा वो हर हाल में मुस्कराते हैं,
तुम भी ऐसे खास और किसी का विश्वास बन जाओ,
आगे रास्ता साफ़ हैं तुम बस थोड़ा कदम तो बढ़ाओ,
यूं उमीदों का दामन छोड़ देना अच्छी बात नहीं होती,
राह के हर किसी से दिल की बात नहीं होती,
फिर क्यों अपने दिल को किसी के दिल से जोड़ बैठे हो,
अपने भोले दिल को यूं बेकार में तोड़ बैठे हो,
सब भूल कर अपनी मंजिल के तरफ अब रुख करना होगा,
रास्ता चाहे जितना कठिन हो पर तुम्हे आगे बढ़ना होगा,
क्योंकि तेरे सपनें अब हक़ीक़त में बदलने वाले हैं,
इसलिए सफलता की और अपने कदम बढ़ाते रहना,
कुछ भी हो जाए तुम बस यूं ही मुस्कराते रहना।
ना जाने क्यों लोग एक -दूसरे को समझते नहीं,
जो बात दिल में हैं उसे खुलकर कहते नहीं,
फिर गिले – शिकवों में जिंदगी गुजार देते हैं,
सामने से हसने का ड्रामा और फिर दिल ही दिल में रोते हैं,
ऐसे तो जिंदगी का लम्बा रास्ता पार ना होगा,
कोई साथ रहेगा तो किसी को साथ छोड़ना होगा,
सब कुछ अपने हाथ में नहीं हैं कुछ नसीब का भी खेल हैं,
मान लो जिंदगी से हार तो ठीक हैं वरना आगे बढ़ने के रास्ते अनेक हैं,
तुम अब इन उलझनों में ना उलझों जिंदगी बहुत छोटी हैं,
आँखें तो दगेबाज हैं ये तो दुःख में और सुख में भी रोती हैं,
तुम खुद को सम्भालों जिंदगी की राह में कही भटक ना जाना,
किसी के दिल में रहो और किसी के दिमाग में अटक ना जाना,
जो जैसा हैं उसे उसके हाल पर छोड़ दो,
जो मिला ठीक हैं बाकी सब तक़दीर पर छोड़ दो,
माना कई बार रिश्तों को संभालने के लिए हद से गुजर जाना होता हैं,
कोई रिश्तों के मोतियों की माला बनाता हैं तो कोई बुने रिश्तों के धागों को उधेड़ देता हैं,
ये तो सोच का खेल हैं इसलिए जिंदगी एक रेल हैं,
जब जिसका स्टेशन आएगा उसे खुद ही उतर जाना होगा,
ये जिंदगी ऐसी ही होती हैं कभी – कभी ना चाहकर भी मुस्कराना होगा,
तुम्हे अपने अंदर की रौशनी को जलाना होगा, घने अँधेरे को मिटाने के लिए,
खुश रहो, आबाद रहो, बस हंसो सिर्फ वजह ढूंढों मुस्कराने के लिए,
जब -जब जो होना होगा, उसे तुम भी ना बदल पाओगे,
अपनी खुशियों से ही अपने दिल के दीप जलाओगे।
सबने अपनी -अपनी कह ली किसी ने मेरे दिल की ना सुनी,
जो बात बिगड़ गयी एक बार वो फिर दोबारा ना बनी,
इसलिए सोच समझकर अपनी जुबान को चलाना,
रिश्तों को चलाने के लिए आँखों से सदा काम लेना और जुबान से चुप हो जाना,
फिर देखना जिंदगी आपकी गुलजार हो जायेगी,
रोती हुयी आँखें भी मुस्कराना सीख जाएंगी।
व्हाट्सप्प, फेसबुक और इंस्टा की दोस्ती पुरानी हो गयी,
दिल में प्यार नहीं पर बस कहानी बन गयी,
ये दिखावे की दुनिया से बस तुम दूर रहो,
जिंदगी की धुन में बस तुम मसरूफ रहो,
तुम अकेले नहीं हो तुम्हारे अंदर की उम्मीद तेरे साथ हैं,
मत सोचों सबके बारे में तुम तो सबसे खास हो,
अपने विश्वास को जगाओ, अपने हौसलों को आजमाओ,
ये जिंदगी की रेल को थोड़ा रुक -रुक कर चलाओ।