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सभी के बचपन की यादें कुछ खट्टी-मीठी होती हैं। बचपन, जिंदगी का सबसे हसीन पल , ना किसी बात की टेंशन और ना ही किसी बात का गम, जो हैं, सब अच्छा हैं, पर दुनिया में बहुत से बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिनका बचपन ही उनके लिए सबसे बुरा होता हैं क्योंकि उस समय ना उन्हें अच्छे की समझ होती हैं, और ना ही बुरे की समझ होती हैं, ना वह किसी से खुलकर लड़ सकते हैं और ना किसी को कुछ कह पाते हैं।

जिधर एक तरह ज्यादातर बच्चों का बचपन बहुत अच्छा होता हैं, वही बहुत से ऐसे लावारिश और दुखी बच्चें जिनके पीछे कोई नहीं हैं, वह बहुत सी problems को झेलकर बड़े होते हैं, जब उनके खेलने -कूदने की उम्र (age) होती हैं, पढ़ने की उम्र होती हैं, तो वह कुछ और ही उलझनों को face कर रहे होते हैं।

दुनिया कितनी आसानी से किसी भी व्यक्ति को जज कर लेती हैं, उसके बारे में अपनी एक राय बना लेती हैं, पर उसने बीते हुए कल में क्या -क्या झेला (face) हैं, इस बात को कभी भी कोई भी जानने की कोशिश नहीं करता  हैं।

जिन बच्चों के बचपन की यादें मीठी और यादगार नहीं हैं, वह बच्चें हर दिन खुद से लड़ते हैं, पर ये कोई भी देख नहीं पाता हैं। आज दुनिया इतना ज्यादा विकास कर चुकी हैं, पर फिर भी बहुत ज्यादा लोग गरीबी और भूँकमरी की मार से बाहर नहीं निकल पाए हैं, जिसकी वजह से बच्चें आज वह कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।

अक्सर, सुना हैं, लोगो से, बचपन बहुत अच्छा होता हैं, पर सबका नहीं अच्छा होता हैं। देखा जाए तो दुनिया के हर माँ -बाप की जिम्मेदारी हैं कि वह अपने बच्चों को बेहतर secured life दे।

किसी को देखकर बच्चें पैदा करने की होड़ में ना लग जाए, कभी सोचा हैं, आपने की हर किसी को ना जाने कितने योनियों की यात्रा के बाद ये मनुष्य रूप मिलता हैं, और यदि फिर जीवन अच्छे से ना बीते तो फिर उस जीवन का क्या मोल, इसलिए अपने बच्चों के लिए बेहतर से बेहतर करना हैं, ये सोच हमेशा रखे।

इस पर बहुत से लोग कहेंगे कि अपने बच्चों के लिए तो हर कोई करता हैं, हाँ ये बात बिलकुल सही हैं, पर दुनिया में बहुत से ऐसे parents होते हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझना चाहते हैं, इसलिए तो सड़को के किनारे, मंदिर के सामने, मॉल के सामने, आपको बहुत से ऐसे बच्चें काम करते या भींख मांगते मिल जाएंगे।

अच्छा आप बताईये इसमें क्या उस बच्चें की गलती  हैं, या उसके माँ -बाप की, जाहिर सी बात हैं उसके माँ -बाप की, जो उसे इस दुनिया में तो ले आये, पर उसके अच्छे जीवन के लिए कुछ नहीं किया।

ऐसे परेशान और दुखी बच्चें ही आगे चलकर चोरी, डकैती, लूटमार और सारे गलत काम करते हैं, और समाज में भयानक स्थिति पैदा कर देते हैं।

कोई भी बच्चा जनम से अच्छा या बुरा नहीं होता हैं, वह जो कुछ भी बनता हैं, इस दुनिया में ही बनता हैं, और गलत काम को आसानी से हर कोई अपना लेता हैं क्योंकि अच्छा काम करने में मेहनत हैं और मेहनत करना भी सबके बस की बात नहीं होती हैं।

मेरे साथ भी एक बार ऐसा ही कुछ हुआ, मैं अपने घर के पास स्थित एक मंदिर के सामने बैठे गरीब बच्चों के लिए कुछ पुराने कपड़े और कुछ मिठाईया लेकर गयी, और मैं उन बच्चों को ये चीजे देने ही वाली थी कि अचानक एक बच्चीं ने वह चीजे मेरे हाथ से छीन ली, कि मैं वह सारी चीजें कही किसी और को ना दे दूँ, सच बताऊँ तो जब उस लड़की ने ऐसा किया तो मुझे बहुत गुस्सा आया, और मैं वहाँ से मन में बुदबुदाती हुयी निकल आयी, पर वह घटना मेरे दिमाग में कई दिनों तक लगातार चलती रही, और जब मैंने फिर आराम से शांत होकर उस लड़की की जगह पे जाके सोचा तो मुझे उसके लिए भी बहुत बुरा लगा, कि आज उसने जो किया वह उसकी मजबूरी हैं, आज यदि उसके माँ -पापा ने उसके लिए अच्छी life की व्यवस्था की होती तो वह आज शायद मंदिर के सामने ना होकर किसी स्कूल में शिक्षा ले रही होती।

ऐसी बहुत सी कहानियाँ आपके पास भी होगी आप मुझे share कर सकते हैं। जीवन में कई बार जो दिखाई देता हैं, वह सब सच नहीं होता हैं। आज हर बच्चा, जो परेशान हैं, दुखी हैं, शिक्षा से दूर हैं, गलत कामों में पड़ा हैं, इन सारी चीजों के लिए उसके parents ही जिम्मेदार हैं क्योंकि बच्चें के लिए माँ -बाप पूरी दुनिया होते हैं और वह माँ -पापा के बताये हुए रास्ते को ही सही समझकर उस पर चलते रहते हैं।

आज हर कोई अपने बारे में सोचता हैं, पर देखा जाए तो आज इस दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं, जिनके लिए कुछ करके आप अपने जीवन को एक सही उद्देश्य दे सकते हैं। हालांकि ये आसान नहीं हैं, आज आप किसी एक गरीब बच्चें के लिए करेंगे तो वहां और सौ गरीब बच्चें आ जाएंगे, ऐसे में आप उनको पैसा-रुपया ना देकर उन्हें शिक्षा दे, कोई ऐसी स्किल सिखाये, जिससे वह खुद के लिए रोजी रोटी कमा सके और बेहतर लाइफ जी सके। इस तरह गरीबी तो हटेगी ही, इसके साथ -साथ दुनिया में होने वाले गलत काम भी कम हो जाएंगे।                   

बचपन की यादें कुछ खट्टी-मीठी
बचपन की यादें कुछ खट्टी-मीठी
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